यहाँ राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के मुख्य बिंदु हिंदी में दिए गए हैं:
1. स्कूल शिक्षा
मूल साक्षरता और संख्यात्मकता: प्रारंभिक कक्षाओं (कक्षा 3) में साक्षरता और संख्यात्मकता कौशल पर जोर।
5+3+3+4 संरचना: 10+2 प्रणाली की जगह नई पाठ्यक्रम संरचना की शुरुआत।
आधारभूत चरण: 5 वर्ष (उम्र 3-8)
तैयारी चरण: 3 वर्ष (उम्र 8-11)
मध्य चरण: 3 वर्ष (उम्र 11-14)
माध्यमिक चरण: 4 वर्ष (उम्र 14-18)
व्यावसायिक शिक्षा: कक्षा 6 से ही व्यावसायिक प्रशिक्षण पर जोर।
मातृभाषा: कम से कम कक्षा 5 तक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में होगा।
कोई कठोर धाराएँ नहीं: छात्रों को विभिन्न विषयों (कला, विज्ञान, खेल आदि) में से अपनी पसंद के विषय चुनने की स्वतंत्रता।
मूल्यांकन में सुधार: रटने के बजाय योग्यता आधारित मूल्यांकन और समग्र प्रगति पर नज़र।
2. उच्च शिक्षा
बहु-विषयक दृष्टिकोण: बहु-विषयक और समग्र शिक्षा पर जोर, जिसमें विषयों के संयोजन में लचीलापन होगा।
स्नातक डिग्री में लचीलापन: 3 या 4-वर्षीय स्नातक डिग्री के विकल्प, जिसमें प्रवेश और निकास के लिए कई चरण होंगे।
क्रेडिट बैंक प्रणाली: क्रेडिट संग्रहीत और स्थानांतरित करने की प्रणाली ताकि संस्थानों के बीच गतिशीलता सुनिश्चित हो सके।
राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (NRF): अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए NRF की स्थापना।
संस्थानों को स्वायत्तता: बहु-विषयक और स्व-शासित बनने के लिए संस्थानों को अधिक स्वायत्तता दी जाएगी।
संबद्ध कॉलेजों का चरणबद्ध अंत: अगले 15 वर्षों में संबद्ध कॉलेजों का धीरे-धीरे समाप्त होना, जिससे कॉलेजों को अधिक स्वायत्तता मिलेगी।
3. शिक्षक शिक्षा और प्रशिक्षण
एकीकृत B.Ed. कार्यक्रम: 2030 तक शिक्षण के लिए न्यूनतम योग्यता के रूप में 4-वर्षीय एकीकृत B.Ed. डिग्री अनिवार्य होगी।
सतत पेशेवर विकास (CPD): शिक्षकों के लिए नियमित प्रशिक्षण और विकास के अवसर।
शिक्षक भर्ती और करियर पथ: पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया और शिक्षकों के लिए पेशेवर विकास के अवसर।
4. प्रौद्योगिकी और डिजिटल शिक्षा
राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच (NETF): शिक्षा की योजना, शिक्षण, सीखने और मूल्यांकन के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने हेतु मंच।
डिजिटल बुनियादी ढांचा: सभी के लिए शिक्षा की समान पहुंच के लिए डिजिटल साक्षरता और ई-लर्निंग प्लेटफार्मों (जैसे DIKSHA और SWAYAM) को बढ़ावा देना।
मिश्रित शिक्षा: पारंपरिक और डिजिटल तरीकों को एकीकृत करना ताकि शिक्षण-प्रक्रिया को और प्रभावी बनाया जा सके।
5. समावेशी शिक्षा
समानता और समावेश: वंचित वर्गों (SC/ST/OBC, विकलांग बच्चे, और लड़कियाँ) पर विशेष ध्यान।
लैंगिक समावेशन कोष: लड़कियों की शिक्षा में प्रवेश और भागीदारी को बढ़ाने के लिए विशेष कोष।
विशेष शिक्षा क्षेत्र: सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित वर्गों वाले क्षेत्रों को अतिरिक्त सहायता प्रदान की जाएगी।
6. नैतिकता और मूल्यों पर ध्यान
समग्र विकास: 21वीं सदी के कौशल (समीक्षात्मक सोच, रचनात्मकता, संवाद, आदि) के साथ नैतिक मूल्यों, सहानुभूति, और राष्ट्रीय गर्व को विकसित करने पर जोर।
7. शासन और वित्तपोषण
सार्वजनिक निवेश में वृद्धि: शिक्षा पर जीडीपी का 6% खर्च करने का लक्ष्य।
नियामक सुधार: उच्च शिक्षा के नियमन के लिए उच्च शिक्षा आयोग (HECI) की स्थापना, जो UGC और AICTE की जगह लेगा।
एकल नियामक: चिकित्सा और कानूनी शिक्षा को छोड़कर सभी उच्च शिक्षा के लिए HECI एकल नियामक होगा।
NEP 2020 का उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुसार बदलना है।